एक नेताजी की जमी जमाई दूकान असी खतम होगी ,किईं चुनाव में तो वांकी जमानत ही जप्त होगी । बाजार में मारा पग पकड़ बोल्या मर्यो कविराज ,ईं चुनाव में मारी ईं भारी हार को थोड़ो बताओ राज । में
धोळा में धूळो
धोळा,कुदरती हाथां उं दियो थको वो सर्टिफिकेट हे जिने ईं दुनियां को कोई भी मनक राजी मन उं कदै लेबो न छावे ,पण जीमणा में खास ब्याईजी-ब्याणजी की खास मनवार के न्यान सबने न-न करर्ता इंने हंसतो-हंसतो लेणाईज पड़े। भारतीय
सबसे बड़ा दुःख
आता है अचानक दौड़ता हुआ सबसे बड़ा दुःखजो कुछ ही समय में एक ही सवाल सेसबका इम्तिहान लेकरचला जाता हैआहिस्ता-आहिस्ता जिन्दगी कीछोटी सी किताब मेंअपने ही हाथों से वो एक नया पाठलिख कर जाता है जिसमें बिना किसी पक्षपात केसाफ-साफकई
आतंकी घाटियां
आतंकी घाटियॉंऔर रेगिस्तानइन दोनों मेंकेवलदो ही अंतर खास है । पहला अंतररेगिस्तान मेंपानीखून की तरहां बहता हैऔर आतंकी घाटियों मेंखूनपानी की तरहां बहता है ।। दूसरा अंतररेगिस्तान मेंआदमी की मौत के लिएयह बहुत जरूरीकिवह दिखने में गुनहगार होकिन्तुआतंकी घाटियों मेंआदमी
वें हजारों बार जीए
शहरों में कई लोगइसलिए मर रहेंकिउन्हें जीना नहीं आयाऔर कई लोगमहजइसीलिए जी रहें किउन्हें मौत नहीं आ रही । बचे हुए लोगरो रहेकुछ उनके वास्तेजो बेमौत मर गएकुछ उनके वास्तेजोन जाने कब मरेंगे । चंद भले लोगचंद भले लोगों के
धोती-जब्बा पगड़ी
धोती-जब्बा-पगड़ीमाथे पर तिलक और चोटीगले में मालाराम-नाम का दुषालागायों को चराने के लिएलूटेरों को डराने के लिएहाथ में लठ यह सब कुछ देखविगत कुछ वर्शों सेषहरों के कई लोगमुझे इस तरहां देखतेजैसेमैं उनकी टी टेबल पर पड़ा हूँ कल का
मृत्यु
मृत्यु केकुछ रूप देखे हैंमैंनेएक वोजिसमेकुछ लोगजीते जी मर जाते हैं ।एक वोजिसमेंकुछमर कर भी जीते हैं ।एक वो भी हैजिसमें कुछ ऐसे भी हैंजोमर कर ही जीते हैंऐ पुरूषार्थी रथ !समय-समय परसभी कोबताते रहनाकैसी-कैसी मृत्युकरेगी उनका आलिंगन ।।
भूख मर्यो
बालपणा रो नाम भीखा मारू हो पण आखा गॉंव का साथीड़ा वांके नाम को सरलीकरण करता -करता वींको उपनाम भूखमर्यो राक्यो । वसान अक्कल का माइक्रोस्कोप उं देखां तो भूखमर्या में भी मंग्तापणा का कतराई त्र्या का वाइरस फूल गोबी
नई का बेटा (कवि अमृत ‘वाणी’)
रचनाकार कवि अमृत’वाणी (अमृत लाल चंगेरिया कुमावत )रिकॉर्ड :- 19/2/2010
ओटेमेटिक घड़ी
ऐ मेरीओटेमेटिक घड़ीकाश मैंने तुझसेइतना ही सीख लिया होताबस मुझे चलना हैतेरी तरह सर्दी-गर्मी-बरसातआंधी-तूफांदिन हो या रातराह मेंफूल हो या कांटेहर हाल में चलना हैहर दिनदिन-रात चलना है अगरइतना ही सीख लिया होतातो आजमेरी घड़ीइतनी नाजुक नहीं होती अच्छे-अच्छेघड़ी-घड़ीमेरी घड़ी