संगीत संसार का जिंदा जादू था, है और रहेगा। सरगम के सांचों में ढला हुआ शब्द चरमोत्कर्ष पाकर शब्द-ब्रह्म बन जाता है। संगीत की सिद्ध स्वर-लहरियाँ गायक को ही नहीं, श्रोताओं को भी अमर करने की सामथ्र्य रखती हैं, यथा-श्रीकृष्ण व गोपियाँ।