आता है


अचानक दौड़ता हुआ


सबसे बड़ा दुःख
जो कुछ ही समय में

एक ही सवाल से
सबका इम्तिहान लेकर
चला जाता है
आहिस्ता-आहिस्ता

जिन्दगी की
छोटी सी किताब में
अपने ही हाथों से

वो एक नया पाठ
लिख कर जाता है

जिसमें

बिना किसी पक्षपात के
साफ-साफ
कई नाम लिखे होते हैं
जैसे
कौन-कौन तेरे लिए
तन-मन-धन दे सकते
कौन-कौन
तन-मन दे सकते
कौन-कौन
केवल मन दे सकते
कौन-कौन
केवल तन दे सकते

कौन-कौन
तेरे इ्रर्द-गिर्द
घूमने वाले ऐसे हैं

तेरे वास्ते
जिनके पास
ना वो है
ना उनकी दुआएं
ना दो पैसे हैं ।

बार-बार
वही पाठ पढ़ कर
बार-बार
सही सही समझ कर
सारे पुराने फैंसलेे
तुम्ही को बदलने
सही वक्त आने पर

कि
अब
किस-किस को
केवल जल पिलाना है

किस-किस को
जल और जल-पान कराना है
किस-किस को
जल,जल-पान
और भोजन कराना है ।

किस-किस को तो
आप जीवित हैं
इतना भी नहीं बताना है

कुछ तो ऐसे भी हैं
अगर उनको

तेरी मौत की खबर भी मिल गई
वे दौड़े आएंगे
तेरी मौत पर
जलेबियां बांट कर
और जाएंगे
तेरे
मृत्यु-भोज के लड्डू खाकर ।

सबसे बड़ा दुःख