तार

आज कलकिसी से कोई काम करवाना होकई दिनों तक वह केवल आप की बात सुनता हैकई महीनो तक केवल विचार करता है फिरकुछ मिनटों का कामकुछ महीनों में निपटा देता है यही कार्य प्रणालीकई ऑफिसरोंकर्मचरियों के घट- घट मेंईश्वर की

नाई की दूकान

दूकान पर जाकर बोलेसुनलो नाई पुत्र नरेश ।आजजल्दि डाढ़ी बनादोगाड़ी पकड़नी है एक्सप्रेस ।। इसे उठादेहजामत की कुर्सी परमुझे बिठादे ।इनके पैसे भीमुझसे लेलेनामुझे जल्दि से जल्दि निपटादे ।। शर्माजी की शादी हैहमें बारात की बस में बैठना ।मनुहारें तो

करगेंट्या के न्यान

जीत गयो र जीत गयो , वोटां वाळी जीत ।ढोल-नगाड़ा आज से , गावे थांका गीत ।।गावे थांका गीत , खुशबू वाळी माळा ।या तो मनखां जीत ,था मती करिजो छाळा ।।के ’वाणी’ कविराज , जा‘गा बारा के भाव ।करगेंट्या

मिटटी का फैंसला

लाल कोठी परलगी संगमरमर की फर्शफर्श पर चांदी का सिंहासनजिस पर बैठाकबर में पैर लटकाएबुड्डा कुबेरकांपते हुए हाथों सेथामी हुईसोने की थालीसोने की कटोरियों मेंचांदी के चम्मचडूबे हुए मूंग की दाल के हलवे मेंऔर पास मेंकाजू बादाम वालेदूध का गिलास

चाँद

बार–बार देखें सभी , इतना प्यारा रूप ।कोई कहता चांदनी , कोई कहता धूप ।।कोई कहता धूप , करे सब नो–नो बातें ।एक उपाय विवाह , चांदनी सी सब रातें ।।कह ‘वाणी’ कविराज, दिल की सुनो पुकार ।अपना है जब

लीछमी चोपा चराय

चोपा चराय लीछमी , आली काम्ड़ी हात ।बणावा सरपंच थने , चालो म्हाके साथ ।।चालो म्हाके साथ , थां दो गाँवा री शान ।थांके आड़ी आज , नाळ रयो वो भगवान ।।के ‘वाणी’ कविराज , अंगूटो दियो दिखाय ।करे न

झूंठ फेर झूंठी कही

उूबा वे सकता नहीं ,उूबा-उूबा जाय ।फारम भर्यो पंच को , टेको दीजो भाय ।।टेको दीजो भाय , काले पड़सी वोट ।मूं मां जायो बीर , कोने म्हारा में खोट ।।के ’वाणी’ कविराज , झूंठ फेर झूंठी कही ।जमानता भी

प्यास

मई-जून कीइस तपती दोपहरी मेंफ्रिज केठण्डे जल कागिलास भी मेरे लिएरूचिकर नहीं हैक्योंकिअभी-अभी तोसो कर उठा हूँमैंकूलर की हवा से ।

मेरी वेब साईट मेरे निजी ख्यालों का

मेरी वेब साईट मेरे निजी ख्यालों का यानि कि जिंदगी से जुड़े हुए रूहानी नजरियों का वो कागजी पुलिंदा है जो ठसाठस भरे हुए बैंक लोकर्स से भी लाखों गुना ज्यादा अपनी जाईन्दा औलादों की तरहां बेहद अजीज है। अमृत‘वाणी’

हार्या केड़े

हार्या केड़े देखजो , कठे-कठे ही खोट ।कतरा जिगरी कर गया ,हरता-फरता चोट ।।हरता-फरता चोट ,उड़ाग्या मूंडा रा रंग ।हाल-चाल बेहाल , कदी न कर ऐसो संग ।।के ’वाणी’ कविराज, जद दारू-पाणी नेड़े ।पी-पी के जो जाय , आय कुण