पैसा

पैसा ऐसी धार है , बनती आंसू धार |धार उधारी झेलते , डूब गए मंझधार ||डूब गए मंझधार , गाते सब अपने गीत |प्यारी प्यारी राग , सुने नहीं कोई मीत ||कह ‘वाणी’ कविराज , हाल बिगड़ा है ऐसा |पैसा

चवन्नी और अठन्नी

आज कलजहाँ देखो वहाँकई मितव्ययी दांतपराई अठन्नी को भीइतनी जोर से दबाते हैंकिबेचारी अठन्नीदबती – दबती चवन्नी बन जाती जब भीवह खोटी चवन्नी निकलती इतनी तेज गति से निकलतीकि उन कंजूस सेठों का जबड़ा हीबाहर निकल जाताऔरइस एक ही झटके

एक्स्ट्रा क्लास

बस्ता उठा टिंकू चला , चार चोराहे पार |थक कर जब स्कूल पहुंचा , पता लगा रविवार ||पता लगा रविवार , नहीं बजेगा घंटा घंटी |पड़ेगी घर पर मार , नहीं कल की गारंटी ||फिर चलाया दिमाग , मम्मी करनी

सांप हमें क्या काटेंगे !!

सांप हमें क्या काटेंगेहमारे जहर सेवे बेमौत मरे जायेंगेअगर हमको काटेंगे ? कान खोल कर सुनलोविषैले सांपो वंश समूल नष्ट हो जायेगाजिस दिन हम तुमको काटेंगेक्यों क्योंकिहम आस्तीन के सांप हे | अमृत ‘वाणी’

अब हमको देना वोट

महंगाई की मार पड़ी , दिया कमर को तोड़ |हो गए हम विकलांग सभी , खड़े हैं  सब हाथ जोड़ ||खड़े हें सब हाथ जोड़ , कौन  पूंछे हाल हमारे |साथी सब गये छोड़ , दूर बहुत हैं किनारे ||मंत्री

हो कामयाब हर मंजिल

मंजिल यँू बढ़ती रहे, बने वह विजय-स्तम्भ । अजातशत्रु सभी यहाँ, बने प्रकाश–स्तम्भ ।। बने प्रकाश–स्तम्भ, जगत सौ–सौ सुख पावें । समझ कर वास्तु–ज्ञान, स्वर्ग–सा सदन बनावें ।। कह `वाणी´ कविराज, होय सभी पल–पल सफल । कष्ट कभी ना होय,