आज का आदमी
आज का आदमीअपनी गरीबी के कारणबहुत कमऔरपडोसियों की तरक्की से बहुत ज्यादा दुखी है अमृत ‘वाणी‘
सब जानते
सब जानते तू भी कभीमजबूत पहाड़ था ,आज मिटता–मिटता हो गयाछोटा सा कंकर Iमगर तनिक भी चिंता मत करकेवल दो बातें ध्यान रखा कर पहली बात मौके की तलाश मेंतुझे रात-दिन फिरना है दूसरी बाततुझे कब कहाँ और किसकी आँख