मालवांचल का महानगर, मायानगरी का अनुज, अत्याधुनिक वैज्ञानिक उपलब्धियों से सुसज्जित, अनन्त प्रगति पथ का अहर्निष धावक, षील से विकासषील, सतरंगी सृजनधर्मिता का अतिसक्रिय स्थल, नैसर्गिंक सौन्दर्य का अक्षय भण्डार, रेल- मार्ग का मकड़ जाल, कोटि-कोटि नयनों का त्राटक बिन्दु,
दिल के आँगन में
दिल के आंगन में जब वो ही रहते है ।फिर आँखों से क्यूँ आसू बहते है ।जाने क्या होगा अंजामे दिल लगी का ।जब उनकी सासों से हम जिते है । शेखर कुमावत
बिन्दी और नौ
एक महान गणितज्ञमर्म-मर्म के मर्मज्ञविषय के ऐसे विशेषज्ञहर वक्तगणित के सवालों में खोए हुए रहते थेजगे हुए भी मानोसोए हुए लगते थे। भ्रकुटी फूल साइज में तनी हुईललाट पर सल पर सल दिखाई देते थे,मजाक है नाक पर मक्खी बैठ
यही हमारी दीवाली
दीवाली आ गईभारी अफसोसकई महंगी रस्मे निभानी होगीगमगीन मासूम चेहरों परभारी नकली मुस्कानें लानी होगी ढ़हने को व्याकुल खण्डहरों परडिस्टेम्पर करना होगाकाले तन तन मन को फिरसतरंगी वस्त्रों से ढकना होगाजल कर राख हो गए कभी केबुझे दिल से फिर
Kavi Amrit Wani Hasya KAvita : Audio
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कवि सम्मलेन : जोहर स्मृति संसथान चित्तोडगढ
कवि : अमृत ‘वाणी‘ चंगेरिया (कुमावत )कविता : मेवाड़ इतिहास (दोहा )कवि सम्मलेन : जोहर स्मृति संसथान चित्तोडगढदिनांक : 29-03-2011 कवि : अमृत ‘वाणी‘ चंगेरिया (कुमावत )कविता : बांरा बिन्दकवि सम्मलेन : जोहर स्मृति संसथान चित्तोडगढदिनांक : 29-03-2011 राजस्थान दिवस
कवि अमृत वाणी
Kavi amrit wani
खुश रहे बहिनें
खुश रहे बहिनें , पल पल यही ख्याल आए |आफ़त के वक़्त भाई बहन की ढ़ाल बन जाए || करता रह इस तरहां तू हिफाजत अपनी बहनों की |कि हुमायूँ से भी बेहतर तेरी मिशाल बन जाए || कवि :-अमृत‘वाणी‘
वंदे मातरम् मिल कर गाए
आओ ऐसे दीप जलाए |अंतर मन का तम मिट जाए ||मन निर्मल ज्यूं गंगा माता |राम भरत ज्यूँ सारे भ्राता || रामायण की गाथा गाए |भवसागर से तर तर जाए || चोरी हिंसा हम दूर भगाए |वंदे मातरम् मिल कर
चार दिनों की जिन्दगी
चार दिनों की जिन्दगीयूंगुजर गई भाई |दो दिनहम सो ना सकेदो दिननींद नहीं आई कवि अमृत“वाणी”