बिकाउ साईकिल

साथियोंसच एकअतिसुंदर साईकिलबिकाउ है साहब ।भगवान ही जानेकेरियर कहां परपेडल और पीछे का पहिया गायब ।। सुंदरसी सीट हैगजब की घण्टी हैकितनेग्यारह घण्टों की गारण्टी है ।अतितीव्र गति से चलतीवायु में उड़तीविषेशताएक्सीडेण्टबहुत जल्दि करती है ।। टूटा हुआ हेण्डल हैपहिले

आज भी जिंदा है

शहीदों की अंतिम श्वांसो पर हर इतिहासआज भी जिंदा हैचंद बंदों की खिदमतों परआसमां का खुदाआज भी जिंदा हैं सुर-ताल सेकलमकारोंआग और पानीबरसाओं तो जानेवेदीपक और मल्हार रागें तोआज भी जिंदा हैं ।

पनघट के प्रहरी

सुर्ख इतना कह देतें प्यास कितनी गहरी हैपनिहारिनों की चलेंबता देती हैंगागर कितनी भरी है युगो-युगो से होती आईप्यास परछलकती गागर कुर्बानमगरफिर भी क्योंघट-घट परपनघट के प्रहरी हैं ।

डबल बेड

उठ डबल बेड से बंद कर रेड़ियो, पंखा, टी. वी., टेप ,कुलर और निकल देहलीज से बाहर लेकर दोपहर का टिफिन करके खून का पानी बहादे पसीना खरीद मेहनत के बाजारों से उन हीरों के बदले रोटी जल्दि लौट आना

बेल्ट

क्यों झूंठ बोलते होप्रजातंत्र के बेल्टकितुम बांधते हो पेंट कोऔर सम्हालते पेट को बोलोकब बांध सकेकब संभाल सकेनेताओं के पेट को जब-जबबांधने का प्रयास कियासागर कीलहरों की तरहांनेताओं का पेटबढ़ता ही गयाऔर तुमढ़लते सूरज की तरहांघटते ही गए सुप्रीम कोर्ट

सत्य

जन्म प्रथमऔरमृत्युजीवन का अंतिम सत्य है इन्हेंहर बारराजा-रंक फकीर कोजन-जन कोनत मस्तक होकरस्वीकार करना ही पड़ता है । यहजी भर के हंसाएयाजी भर के रूलाएहर बारआंसूखारे ही बहते हैं । अर्थात्सत्य हंसाएया रूलाएआंखों मेंउसके अहसासों कीशबनमी तश्वीरइसीलिएहर वक्तएक जैसी ही

मछली

यह सभी जानतेजिन्दगीपानी का बुलबुला हैंलेकिनकितने यह जानते हैंक्योंहर बुलबुले कीहर आंख मेंहर वक्तआंसू ही आंसू हैं जो-जो भीयह राज जान गएफिर वेसंसार मेंइस तरहां जीएजैसे जीती हैंमछलियां ठण्डे पानी मेंउनकी पीढ़ियों मेंआज तककिसी कोजुकाम नहीं हुआ हे प्रभु!इस बुलबुले

महामंत्र

यह सत्य हैमनुश्यइस वासनामय संसार मेंधृतराष्ट्र की तरहअंधे ही जन्म लेते हैं। किन्तुयह समस्यादुगुणी होकरसौगुणी तब हो जाती हैजबपतिव्रता गांधारी भीअपने ही हाथों सेअपनी ही आंखों परकाली पट्टी बांधपति के समकक्ष होजन्म दे देतीसौ-सौ पुत्रों को । दोनों में से