चवन्नी और अठन्नी

आज कलजहाँ देखो वहाँकई मितव्ययी दांतपराई अठन्नी को भीइतनी जोर से दबाते हैंकिबेचारी अठन्नीदबती – दबती चवन्नी बन जाती जब भीवह खोटी चवन्नी निकलती इतनी तेज गति से निकलतीकि उन कंजूस सेठों का जबड़ा हीबाहर निकल जाताऔरइस एक ही झटके

एक्स्ट्रा क्लास

बस्ता उठा टिंकू चला , चार चोराहे पार |थक कर जब स्कूल पहुंचा , पता लगा रविवार ||पता लगा रविवार , नहीं बजेगा घंटा घंटी |पड़ेगी घर पर मार , नहीं कल की गारंटी ||फिर चलाया दिमाग , मम्मी करनी

सांप हमें क्या काटेंगे !!

सांप हमें क्या काटेंगेहमारे जहर सेवे बेमौत मरे जायेंगेअगर हमको काटेंगे ? कान खोल कर सुनलोविषैले सांपो वंश समूल नष्ट हो जायेगाजिस दिन हम तुमको काटेंगेक्यों क्योंकिहम आस्तीन के सांप हे | अमृत ‘वाणी’

अब हमको देना वोट

महंगाई की मार पड़ी , दिया कमर को तोड़ |हो गए हम विकलांग सभी , खड़े हैं  सब हाथ जोड़ ||खड़े हें सब हाथ जोड़ , कौन  पूंछे हाल हमारे |साथी सब गये छोड़ , दूर बहुत हैं किनारे ||मंत्री