चार दिनों की जिन्दगीयूंगुजर गई भाई |दो दिनहम सो ना सकेदो दिननींद नहीं आई कवि अमृत“वाणी”
चार दिनों की जिन्दगी
चार दिनों की जिन्दगीयूंगुजर गई भाई |दो दिनहम सो ना सकेदो दिननींद नहीं आई कवि अमृत“वाणी”
चार दिनों की जिन्दगीयूंगुजर गई भाई |दो दिनहम सो ना सकेदो दिननींद नहीं आई कवि अमृत“वाणी”
चार दिनों की जिन्दगीयूंगुजर गई भाई |दो दिनहम सो ना सकेदो दिननींद नहीं आई कवि अमृत“वाणी”