पैसा ऐसी धार है , बनती आंसू धार |धार उधारी झेलते , डूब गए मंझधार ||डूब गए मंझधार , गाते सब अपने गीत |प्यारी प्यारी राग , सुने नहीं कोई मीत ||कह ‘वाणी’ कविराज , हाल बिगड़ा है ऐसा |पैसा
एक्स्ट्रा क्लास
बस्ता उठा टिंकू चला , चार चोराहे पार |थक कर जब स्कूल पहुंचा , पता लगा रविवार ||पता लगा रविवार , नहीं बजेगा घंटा घंटी |पड़ेगी घर पर मार , नहीं कल की गारंटी ||फिर चलाया दिमाग , मम्मी करनी
राम चालीसा
कौशल्या का लाडला ,केवे जग जगदीश ।किरपा करदो मोकली ,रोज नमावां सीस ||हुणजो माता जानकी ,दया करे रघुवीर ।चार पुरसारथ मले, ओर मले महावीर ।। कवि अमृत वाणी
हो कामयाब हर मंजिल
मंजिल यँू बढ़ती रहे, बने वह विजय-स्तम्भ । अजातशत्रु सभी यहाँ, बने प्रकाश–स्तम्भ ।। बने प्रकाश–स्तम्भ, जगत सौ–सौ सुख पावें । समझ कर वास्तु–ज्ञान, स्वर्ग–सा सदन बनावें ।। कह `वाणी´ कविराज, होय सभी पल–पल सफल । कष्ट कभी ना होय,