खुश रहे बहिनें , पल पल यही ख्याल आए |आफ़त के वक़्त भाई बहन की ढ़ाल बन जाए || करता रह इस तरहां तू हिफाजत अपनी बहनों की |कि हुमायूँ से भी बेहतर तेरी मिशाल बन जाए || कवि :-अमृत‘वाणी‘
सलीका जीने का
इत्तफाक सेजीते जीमिल जाएकिसी कोसलीका जीने का फिरएक लम्हा ही बहुत हैइस जहान मेंउसके जीने का
मेरी वेब साईट मेरे निजी ख्यालों का
मेरी वेब साईट मेरे निजी ख्यालों का यानि कि जिंदगी से जुड़े हुए रूहानी नजरियों का वो कागजी पुलिंदा है जो ठसाठस भरे हुए बैंक लोकर्स से भी लाखों गुना ज्यादा अपनी जाईन्दा औलादों की तरहां बेहद अजीज है। अमृत‘वाणी’