समय समय पर करो रक्त दान । हर जुबां कहेगी कितना महान ॥ कवि अमृत ‘वाणी’अमृतलाल चंगेरिया (कुमावत)
आज का आदमी
आज का आदमीअपनी गरीबी के कारणबहुत कमऔरपडोसियों की तरक्की से बहुत ज्यादा दुखी है अमृत ‘वाणी‘
आज का आदमी
आज का आदमीअपनी गरीबी के कारणबहुत कमऔरपडोसियों की तरक्की से बहुत ज्यादा दुखी है अमृत ‘वाणी’
भोजन की मात्रा
भोजन की उतनी ही मात्रा अमृत के समान है, जिसे ग्रहण करने के बाद आप को,किसी भी कार्य में बाधा उत्पन्न नहीं होय |
सच्चे गुरु
सच्चे गुरु को सच्चा शिष्य मिल जानाएक नवीन सशक्त क्रांति का बीजारोपण है
हे खुदा !
हर इंसा की जिंदगी में कम से कम एक बार एक ऐसा दौर आना चाहिए कि उस दौर के दौरान वो शख्स हर दौर से गुज़र जाना चाहिए | अमृत ‘वाणी’
भोजन की मात्रा
भोजन की उतनी ही मात्रा अमृत के समान है, जिसे ग्रहण करने के बाद आप को,किसी भी कार्य में बाधा उत्पन्न नहीं होय |
आज का आदमी
आज का आदमीअपनी गरीबी के कारणबहुत कमऔरपडोसियों की तरक्की से बहुत ज्यादा दुखी है अमृत ‘वाणी‘
सब जानते
सब जानते तू भी कभीमजबूत पहाड़ था ,आज मिटता–मिटता हो गयाछोटा सा कंकर Iमगर तनिक भी चिंता मत करकेवल दो बातें ध्यान रखा कर पहली बात मौके की तलाश मेंतुझे रात-दिन फिरना है दूसरी बाततुझे कब कहाँ और किसकी आँख