जाता-जाता के गया , बूडा-ठाडा लोग |
कर्जो काळो नाग हे , लख उपजावे रोग ||
लख उपजावे रोग , मूंगी ईंकी दवाई |
आंसू केता जाय , लोग हूणे न लुगाई ||
के ‘वाणी’ कविराज , मले मूंडा मचकाता|
छीप-छिप काढे दांत , भायला जाता-जाता ||
कर्जो काळो नाग हे , लख उपजावे रोग ||
लख उपजावे रोग , मूंगी ईंकी दवाई |
आंसू केता जाय , लोग हूणे न लुगाई ||
के ‘वाणी’ कविराज , मले मूंडा मचकाता|
छीप-छिप काढे दांत , भायला जाता-जाता ||
कर्जो काळो नाग हे