जन्म प्रथम
और
मृत्यु
जीवन का अंतिम सत्य है
इन्हें
हर बार
राजा-रंक फकीर को
जन-जन को
नत मस्तक होकर
स्वीकार करना ही पड़ता है ।
यह
जी भर के हंसाए
या
जी भर के रूलाए
हर बार
आंसू
खारे ही बहते हैं ।
अर्थात्
सत्य हंसाए
या रूलाए
आंखों में
उसके अहसासों की
शबनमी तश्वीर
इसीलिए
हर वक्त
एक जैसी ही दिखती है
क्योंकि
सत्य एक है
सत्य अटल है ।
सत्य