जो जलना था वो सब जल गया ।जो गलना था वो सब गल गया ।।‘वाणी’ दर्द, दर्द सा लगता नहीं अब ।दर्द के सांचों में जीवन ढल गया ।। कवि अमृत ‘वाणी’
जो जलना था वो सब जल गया ।जो गलना था वो सब गल गया ।।‘वाणी’ दर्द, दर्द सा लगता नहीं अब ।दर्द के सांचों में जीवन ढल गया ।। कवि अमृत ‘वाणी’