दिल के आंगन में जब वो ही रहते है ।फिर आँखों से क्यूँ आसू बहते है ।जाने क्या होगा अंजामे दिल लगी का ।जब उनकी सासों से हम जिते है । शेखर कुमावत
दिल के आंगन में जब वो ही रहते है ।फिर आँखों से क्यूँ आसू बहते है ।जाने क्या होगा अंजामे दिल लगी का ।जब उनकी सासों से हम जिते है । शेखर कुमावत