बुद्धि मुझे दो शारदा

बुद्धि मुझे दो शारदा, सदन शीघ्र बन जाय ।कर पूरण स्वर-साधना, देऊ तुझे बिठाय ।। देऊ तुझे बिठाय, विराजो मेरे घर में ।ऐसे गीत लिखाय , हो प्रकाश अंतस में ।। कह `वाणी` कविराज, चित्त में शुध्दी मुझे दो |रचूं