भूख मर्यो

बालपणा रो नाम भीखा मारू हो पण आखा गॉंव का साथीड़ा वांके नाम को सरलीकरण करता -करता वींको उपनाम भूखमर्यो राक्यो । वसान अक्कल का माइक्रोस्कोप उं देखां तो भूखमर्या में भी मंग्तापणा का कतराई त्र्या का वाइरस फूल गोबी

ओटेमेटिक घड़ी

ऐ मेरीओटेमेटिक घड़ीकाश मैंने तुझसेइतना ही सीख लिया होताबस मुझे चलना हैतेरी तरह सर्दी-गर्मी-बरसातआंधी-तूफांदिन हो या रातराह मेंफूल हो या कांटेहर हाल में चलना हैहर दिनदिन-रात चलना है अगरइतना ही सीख लिया होतातो आजमेरी घड़ीइतनी नाजुक नहीं होती अच्छे-अच्छेघड़ी-घड़ीमेरी घड़ी

भोळाबा

गाँव का अनपढ़ भोळाबा की रई जसी मुसीबत वीं दान एकदम परवत जसी विकराल बणगी, जणी बगत मोटा शहर में हात–आठ जणा का हण्डाउं कजाणा कसान ई वे अचानक बिछुड़ग्या । हाल तो एक घण्टोई न व्यो वेई अन छीज–छीज

शिक्षा

केवल मुद्रा-बल सेविभिन्न प्रकार कीमुद्राएं बना-बना करपीछले कई वर्शों सेकहीं दिन कोकहीं रात कोकहीं सुबह कोकहीं शाम कोभांत-भांत केहजारों विद्यालयों मेंलाखों अधूरेकर रहेंकरोड़ों को पूरेकर रहेकरोड़ो पूरे । इसीलिएअब तकना तो उन्हें बना सके पूरेनास्वयं ही बन सके पूरे ।

प्राईवेट मोटर

प्राईवेट मोटर मेंम्हारा सासरा कादो रूप्याई लागे ।पणसरकारी गाड़ी को कण्डक्टरआठ रूप्या मांगे ।। मूं बोल्योथू पैसा पूरा लेवेअनटिकट आदोई न देवे ।वो बोल्योअरे भोळा जीवइनै तो रोड़वेज की नौकरी केवे ।। मूं बोल्योसरकारी गाड़्या मेंअतरो भाव बढ़ग्यो ।ओरम्हारा ढाई

बहुत कुछ

आज तकआज नहीं तो कलसबको मिलता रहाउसकीजरूरत मुताबिककुछ ना कुछ ।आप ही बताइये जनाबजहान में आज तककिसको नसीब हुआसब कुछ ।। फिर भीलाखों लोगलाखों बारन जाने क्योंबेवजहरोते–रोते चले गएकुछ तोआज भी रो रहेकुछबेशककल तक रोने ही वाले देखोदेखोतीनों किस्मों केचाहो

बिकाउ साईकिल

साथियोंसच एकअतिसुंदर साईकिलबिकाउ है साहब ।भगवान ही जानेकेरियर कहां परपेडल और पीछे का पहिया गायब ।। सुंदरसी सीट हैगजब की घण्टी हैकितनेग्यारह घण्टों की गारण्टी है ।अतितीव्र गति से चलतीवायु में उड़तीविषेशताएक्सीडेण्टबहुत जल्दि करती है ।। टूटा हुआ हेण्डल हैपहिले