राम चालीसा कोशल्या का लाड़ला ,केवावे जगदीश ।किरपा करजो मोकळी ,रोज नमावां सीसहुणजो माता जानकी ,दया करे रघुवीर ।चारो पुरसारथ मले, ओर मले मावीर ।। शब्दार्थ -लाड़ला-परम प्रिय, केवावे-कहलाते है ,जग- संसार,मोकळी-अपार,रोज-प्रतिदिन,नमावां-नमन करते, सीस-मस्तकभावार्थः-कौशल्या माता के अनन्य , प्रिय पुत्र
ram chalisa लेखकीय
संसार का दाता प्रत्येक जीवात्मा को उसके प्रारब्धानुसार कुछ ना कुछ ऐसा अवश्य देता है जो अन्य की तुलना में निसंदेह कुछ हद तक अतिविशिश्ट होता है। न जाने यह मेरे किस जन्म की भक्ति का प्रारब्ध है कि मां