जवानी ऐसी आग है जो आग से ही बुझती कैसे जैसे लोहा लोहे को काटता है । आश्चर्य तो यह जो इस आग को बुझाने आते बड़े शौक से रजाबंदी से खुद भी जल जाते वे आग बुझाते ही रहते
रोटी का टुकड़ा
सौ मंजिल ऊँची ईमारत केसुनहरी झरोखे सेगोरे हाथों ने फेंकाएक सूखी रोटी का टुकड़ाजो गिरासीधा एक भिखारी के कटोरे मेंऔर झटके से बंद कर दिएसतरंगी चूडियों नेकांच के किंवाड़भिखारी चला गयाकिन्तु मैं अभी तक वहीं खड़ा हूँतभी से सोच रहा