रचना कार कवी अमृत’वाणी (अमृत लाल चंगेरिया )रिकॉर्ड :- 28/2/2009
महामंत्र
यह सत्य हैमनुश्यइस वासनामय संसार मेंधृतराष्ट्र की तरहअंधे ही जन्म लेते हैं। किन्तुयह समस्यादुगुणी होकरसौगुणी तब हो जाती हैजबपतिव्रता गांधारी भीअपने ही हाथों सेअपनी ही आंखों परकाली पट्टी बांधपति के समकक्ष होजन्म दे देतीसौ-सौ पुत्रों को । दोनों में से
हरे वृक्ष मत काटो
किसको खबर है पल की , कब तक क्या हो जाय । होती कमी अब जल की, कौन कहाँ तक जी पाय ।। कौन कहाँ तक जी पाय , चले कोठियों में कुलर । करे फ्रीज जल-पान , तपे निर्धन
बारां बिन्द (कवि अमृत ‘वाणी’ कविता बाल विवाह पर आधारित )
रचनाकार कवि अमृत’वाणी (अमृत लाल चंगेरिया कुमावत )रिकॉर्ड :- 28/2/2009
परसाद्यो भगत (राजस्थानी कहानी)
आकाई गाँव में दो नाम मनकां की जिबान पे छड्या थका हा। एक भगवान शंकर को नाम अन एक वांको लाड़लो परसाद्यो भगत । यो गाँव बस्यो जदकाई ये दोई नाम गाँव के साथे-साथे रिया । गांव वाळा को कसोई
तार
आज कलकिसी से कोई काम करवाना होकई दिनों तक वह केवल आप की बात सुनता हैकई महीनो तक केवल विचार करता है फिरकुछ मिनटों का कामकुछ महीनों में निपटा देता है यही कार्य प्रणालीकई ऑफिसरोंकर्मचरियों के घट- घट मेंईश्वर की
नाई की दूकान
दूकान पर जाकर बोलेसुनलो नाई पुत्र नरेश ।आजजल्दि डाढ़ी बनादोगाड़ी पकड़नी है एक्सप्रेस ।। इसे उठादेहजामत की कुर्सी परमुझे बिठादे ।इनके पैसे भीमुझसे लेलेनामुझे जल्दि से जल्दि निपटादे ।। शर्माजी की शादी हैहमें बारात की बस में बैठना ।मनुहारें तो
करगेंट्या के न्यान
जीत गयो र जीत गयो , वोटां वाळी जीत ।ढोल-नगाड़ा आज से , गावे थांका गीत ।।गावे थांका गीत , खुशबू वाळी माळा ।या तो मनखां जीत ,था मती करिजो छाळा ।।के ’वाणी’ कविराज , जा‘गा बारा के भाव ।करगेंट्या
मिटटी का फैंसला
लाल कोठी परलगी संगमरमर की फर्शफर्श पर चांदी का सिंहासनजिस पर बैठाकबर में पैर लटकाएबुड्डा कुबेरकांपते हुए हाथों सेथामी हुईसोने की थालीसोने की कटोरियों मेंचांदी के चम्मचडूबे हुए मूंग की दाल के हलवे मेंऔर पास मेंकाजू बादाम वालेदूध का गिलास
चाँद
बार–बार देखें सभी , इतना प्यारा रूप ।कोई कहता चांदनी , कोई कहता धूप ।।कोई कहता धूप , करे सब नो–नो बातें ।एक उपाय विवाह , चांदनी सी सब रातें ।।कह ‘वाणी’ कविराज, दिल की सुनो पुकार ।अपना है जब