क्यों झूंठ बोलते होप्रजातंत्र के बेल्टकितुम बांधते हो पेंट कोऔर सम्हालते पेट को बोलोकब बांध सकेकब संभाल सकेनेताओं के पेट को जब-जबबांधने का प्रयास कियासागर कीलहरों की तरहांनेताओं का पेटबढ़ता ही गयाऔर तुमढ़लते सूरज की तरहांघटते ही गए सुप्रीम कोर्ट
क्यों झूंठ बोलते होप्रजातंत्र के बेल्टकितुम बांधते हो पेंट कोऔर सम्हालते पेट को बोलोकब बांध सकेकब संभाल सकेनेताओं के पेट को जब-जबबांधने का प्रयास कियासागर कीलहरों की तरहांनेताओं का पेटबढ़ता ही गयाऔर तुमढ़लते सूरज की तरहांघटते ही गए सुप्रीम कोर्ट