जन्म प्रथमऔरमृत्युजीवन का अंतिम सत्य है इन्हेंहर बारराजा-रंक फकीर कोजन-जन कोनत मस्तक होकरस्वीकार करना ही पड़ता है । यहजी भर के हंसाएयाजी भर के रूलाएहर बारआंसूखारे ही बहते हैं । अर्थात्सत्य हंसाएया रूलाएआंखों मेंउसके अहसासों कीशबनमी तश्वीरइसीलिएहर वक्तएक जैसी ही