हरे वृक्ष मत काटो

किसको खबर है पल की , कब तक क्या हो जाय । होती कमी अब जल की, कौन कहाँ तक जी पाय ।। कौन कहाँ तक जी पाय , चले कोठियों में कुलर । करे फ्रीज जल-पान , तपे निर्धन