मिटटी का फैंसला

लाल कोठी परलगी संगमरमर की फर्शफर्श पर चांदी का सिंहासनजिस पर बैठाकबर में पैर लटकाएबुड्डा कुबेरकांपते हुए हाथों सेथामी हुईसोने की थालीसोने की कटोरियों मेंचांदी के चम्मचडूबे हुए मूंग की दाल के हलवे मेंऔर पास मेंकाजू बादाम वालेदूध का गिलास

चाँद

बार–बार देखें सभी , इतना प्यारा रूप ।कोई कहता चांदनी , कोई कहता धूप ।।कोई कहता धूप , करे सब नो–नो बातें ।एक उपाय विवाह , चांदनी सी सब रातें ।।कह ‘वाणी’ कविराज, दिल की सुनो पुकार ।अपना है जब