चोपा चराय लीछमी , आली काम्ड़ी हात ।बणावा सरपंच थने , चालो म्हाके साथ ।।चालो म्हाके साथ , थां दो गाँवा री शान ।थांके आड़ी आज , नाळ रयो वो भगवान ।।के ‘वाणी’ कविराज , अंगूटो दियो दिखाय ।करे न
झूंठ फेर झूंठी कही
उूबा वे सकता नहीं ,उूबा-उूबा जाय ।फारम भर्यो पंच को , टेको दीजो भाय ।।टेको दीजो भाय , काले पड़सी वोट ।मूं मां जायो बीर , कोने म्हारा में खोट ।।के ’वाणी’ कविराज , झूंठ फेर झूंठी कही ।जमानता भी