हार्या केड़े

हार्या केड़े देखजो , कठे-कठे ही खोट ।कतरा जिगरी कर गया ,हरता-फरता चोट ।।हरता-फरता चोट ,उड़ाग्या मूंडा रा रंग ।हाल-चाल बेहाल , कदी न कर ऐसो संग ।।के ’वाणी’ कविराज, जद दारू-पाणी नेड़े ।पी-पी के जो जाय , आय कुण

चुनावी डूंज वायरो

चुनावी डूंज वायरो , पांच बरस में आय ।उड़े रोड़्या रो कचरो, मंदर उॅंचों जाय ।।मंदर ऊँचो जाय , वे पेर गळा में हार ।आवे विरला जीत , मोड़-मोड़ पे मनवार ।।के ’वाणी’ कविराज ,राखजो काण कायदो ।पाछा जावो जीत