लौटेगी हरियाली

हरियाली घटती रही , हुए जंगल वीरान |चिंता सताए शेर को , सब कुछ क्यों वीरान ||सब कुछ क्यों वीरान , आज कैसे दिन आए |नहीं जंगली जीव, खाएं तो किसे खाए ||कह ‘वाणी’ कविराज , पीओ चाय की प्याली