बहरे कई प्रकार के, भांत – भांत के लाभ |जब तक काम पड़े नहीं, तब तक लाभ ही लाभ ||तब तक लाभ ही लाभ , चिल्ला कर वक्ता कहे |मन मन हँसता जाय , वक्ता का पसीना बहे ||कह ‘वाणी’
राजस्थानी राम चालीसा
राम राम शिवजी जपे ,हर हर बोले राम | दुई नाम लारे जपो ,सिध्द होय सब काम || राजस्थानी राम चालीसा का दोहा अमृत ‘वाणी‘