महंगाई की मार पड़ी , दिया कमर को तोड़ |हो गए हम विकलांग सभी , खड़े हैं सब हाथ जोड़ ||खड़े हें सब हाथ जोड़ , कौन पूंछे हाल हमारे |साथी सब गये छोड़ , दूर बहुत हैं किनारे ||मंत्री
हे खुदा !
हर इंसा की जिंदगी में कम से कम एक बार एक ऐसा दौर आना चाहिए कि उस दौर के दौरान वो शख्स हर दौर से गुज़र जाना चाहिए | अमृत ‘वाणी’