कौशल्या का लाडला ,केवे जग जगदीश ।किरपा करदो मोकली ,रोज नमावां सीस ||हुणजो माता जानकी ,दया करे रघुवीर ।चार पुरसारथ मले, ओर मले महावीर ।। कवि अमृत वाणी
भोजन की मात्रा
भोजन की उतनी ही मात्रा अमृत के समान है, जिसे ग्रहण करने के बाद आप को,किसी भी कार्य में बाधा उत्पन्न नहीं होय |