मायड़ भाषा लाड़ली, जन-जन कण्ठा हार ।लाखां-लाखां मोल हे, गाओ मंगलाचार ।। वो दन बेगो आवसी ,देय मानता राज ।पल-पल गास्यां गीतड़ा,दूणा होसी काज ।। अमृत ‘वाणी’ मायड़ भाषा