गाँव का अनपढ़ भोळाबा की रई जसी मुसीबत वीं दान एकदम परवत जसी विकराल बणगी, जणी बगत मोटा शहर में हात–आठ जणा का हण्डाउं कजाणा कसान ई वे अचानक बिछुड़ग्या । हाल तो एक घण्टोई न व्यो वेई अन छीज–छीज अन भोळाबा को कोई बाटकी खान खून कम पड़ग्यो । थोड़ी देर तो वाने खूब लांबी–लांबी हचक्या चाली पचे एकाएक हचक्या भी पाणी का नल के न्यान पगंई बंद वेगी । भोळाबा झट हमझ ग्या म्हारा हण्डावाळा मने हमाळता–हमाळता घणा छेटी पराग्या । अबे वाने वीं हण्डाउं पाचो मेलबा की उम्मीद एक पैसा भरी भी न री ।
गॉंव का गेला जतरा लंबा वेवे वांकाउं ज्यादा तो चोड़ी–चोड़ी हड़का अन यांकी लंबाण देको तो आंख्या फाटी की फाटी रे जावे । फटफट्या , टेम्पू , मोटरां, कारां , ट्र्का , टेक्स्या , ये सब
अणहेन्दा पुलिसवाळा ने देकताई चोर भागे ज्यंू अपणी–अपणी हिम्मत के पाण पे भाग सके जतरा तेज भागर्या हा ।
काळीकट हड़क रीस्या बळती नागण हरीकी लाग री ही । भोळाबा ने वा हड़क पार करबो बेतरणी नदी के न्यान घणोई अबको लागर्यो हो । आज कतराई बरसां बाद स्वर्ग सिधार्या थका भाबा की पाची याद आई पण अबे ईं धरती पे वा सेवा–भावी नार कठे ।
हड़क पार कर’न उटीने जाबो भी घणो जरूरी हो कई करा’न कई न करां भोळाबा को भंवरो नेम काम न कर र्यो हो । बोळ्या पींदे उूबा–उूबा वाने अदघड़ी वेगी ही ।
कान का परदा फाट जावे जसी उगमणा आडीनू एक जोरदार आवाज आई। ज्यूंई उटीने देक्यो तो एक मोटर अन एक ट्र्क आमी–हामी टकरागी । दोया का चलाबा वाळा ,
मोटर का आठ जणा अन ट्र्क का तीन जणा भारी भचड़क्का में ठाम का ठाम मरग्या । यो एक्सीडेण्ट देक भोळाबा को रोम–रोम बा’रा मेलबा लागग्यो । आज आछी बीती रे राम यूं केता थका माथो पकड़ भोळाबा वटे का वटै लाकड़ी के टेके नीचे बेठग्या ।
मनक भी रू्क्ड़ा हरीका वेग्या । रूंकड़ा तो सबने छाया देवे मनक तो असा मतलबी के अणहेंदां मनक उं वींका सुक–दुक में वात करबोई भारी गुनाह हमझे । भोळाबा अटाउं पाचा एकला वांके गांव भी न जा सके । असी मुसीबत ,अटने कूड़ो वटने खाई जसी हालत वेगी । मन–मन में होचता जार्या के अबे मूं जीव्तो रूं जतरे पाचो कदी असा मोटा शहर में नी आउं ।
बेतरणी नदी में आवे जसानी’ज भोळाबा के भड़े एक गदेड़ो आन उबो वेग्यो । भोळाबा होचबा लागा गरज की टेम पे लोग–भाग गदा ने बाप बणा लेवे । मूं ईंकाउं कुंकर अरदास करूं यार मुसीबत में म्हारी कई तो मदद करदे थूंई म्हारा जनम–जनम को बीरो हे । असान की मौन प्रार्थना का स्वर भोळाबा का रोम–रोम मूं नरी देर तईं निकळताई र्या ।
शीतला माता को वाहन वैशाख नंदन भी फोरो–मोटो लोकल अन्तरयामी हो । पलक झपकताई हमझ ग्यो भगतजी भारी मुसीबत में हे । यांको संकट दूर करबो तो म्हारे बायां हाथ को खेल हे। बेठा–बेठा नरी देर वेबाउं बासा का पग आर0सी0सी0 का सरिया का न्यान जाम वेग्या हा तोई गाठी हिम्मत करने लाकड़ी के टेके पाचा उबा व्या । उठताई पेल्यां रामजी को नाम लीदो , रामजी का नाम वना रामजी ने अन वाने एक घड़ी न हुंवातो ।
आकी जिंदगी में पेलीदान एक असो हमझदार गदेड़ो देख्यो जो वांने मुसीबत में देक वांके भड़े आयो
। अन आपणी पूंछने उंची कर–कर वांके हाथ के भड़े–भड़े ले जार्यो हो । भोळाबा ने हमझबा में घणी देर नी लागी, वे जाणग्या के यो गदो मने हड़क पार कराबा के वास्तै आयो हे। अबे देर कीं बात की। यो अंतिम हथियार, वृद्धावस्था पेंशन का रूप्या के न्यान भोळाबा गदा का पूंछड़ा ने हाथां में पकड़ जापावाळी के न्यान धीरे–धीरे चालबा लाग्या ।
चार–पांच पांव्डा चाल्याई हा के गदो जोरूं एक आवाज करताई टांगड़ी की एक ठोकी जींकाउं नरी देर उं एक फटफटी वाळो गलत साइड में चालर्यो हो वो डापा–चोक वेन एकदम नीचे जा पड्यो । हउू मजाको घळ्डातो थको भोळाबा उं तीन–चार हाथ छेटी आन ढ़ब्यो । भोळाबा मन–मन में होचबा लागा अरे राम राम ! आज यो गदो जो म्हारी रक्षा न करतो तो आज के ठीक बारमें दन म्हारे बारमां को धूप–ध्यान वे जातो ।
अबे बासा को आत्म–विशवास ओर मजबूत वेग्यो अन वां गदा की पूंछ ओर गाठी पकड़ लीदी । ’’डूबते को तिनके का सहारा वाळी बात धीरे–धीरे सिद्ध वेबा लागी । ’’
आदी हड़क पार वी गदेड़े अबकी दान एक धीरेपूं एक प्रेम भरी आवाज दीदी वा हुणताई पेली दो गदेड़ा सड़क का बच में असान’ई ठाला–भुला के न्यान उबा हा , वे भी वांके लारे–लारे मंत्री के लारे संत्री चाले जसान जाणे कदम ताल मिला–मिला अन परेड में सिपाई चाले वसान चालबा लाग्या । भोळाबा ने असान लागबा लागग्यो जाणे वे तीन पेड़ा का टेम्पू के पाचली सीट पे बेट ने ठप्पाउं हांया खाता थका हारे जार्या वे ।
सड़क पार करबा में अबे कोई हिंदरी खान जगा ओर री वेई के शीतला माता के वाहन फेर एक शानदार कल्कारी कीदी जींकाउं आंख्या मींच अन चालबा वाळा नराई जणा की एकी लारे आंख्या खुलगी । दो–तीन वाहन तो छेटी उंई सावधान वेग्या ।
आदी बीड़ी पीवे जतरी दे’री न लागी कि वे पगई पार वेग्या । हड़क के अटीले पाड़े आताई डरपोक बेटो जंग जीत्यायो वे ज्यूं भोळाबा के जीव में जीव आयो। हरीकच फीफरी नीचे नामीक देर दोई भई उबा र्या । पचे फेर हिम्मत कर भोळाबा गदा ने पूछ्यो हे म्हारा जनम–जनम का बीरा एक बात बताओ जो काम ईं षहर का लाखीणा मनक न कर सक्या वो काम थां कर काड्यो । अणी काम में कई राज हे नामीक मनै वताओ ।
गदो बोल्यो मू‘तो निस्वार्थ सेवा भावी हूं , पण फेर भी थां पूंछ लीदो तो म्हारो संक्षिप्त परिचय आज थाने भी दै दूं ।
एक जुग पैल्यां की बात हे कुंभ का मेळा का दन हा, भारी भीड़ चाल री ही । अणीज शेर में मूं
ट्राफिक पुलिस हो अन ईंज चोराया पे म्हारी ड्यूटी ही । मेटाडोर में साधू–संत बेठ अन जार्या हा । एक फटफटी पे बेठ दो जणा चार–पांच बकरा लेन जार्या हा । आकूदन मांने पल–पल में सिटृीयां बजाणी पड़े। एक सिटृी नामीक अउं–दउं बाजगी जीं कारण उं संता वाळी मेटाडोर बकरा वाळा फटफट्या आडीने फरगी । बकरा ने बचाता–बचाता मेटाडोर ट्र्क के जा भचीकाई । वीं ट्र्क में मार्बल की मोटी–मोटी छाटा जा’री ही । असी जोर की टक्कर लागी कि मेटाडोर तीन–चार पलट्या खाती–खाती ट्राफिक पुलिस का थाम्बा के अड़गी । वीं दन म्हारा हमेत एक लारे काई अकवीस जणाको काळ आयो ।
यमराज महाराज दुर्घटना की सी0आई0डी0 जांच करवाई। सारी जांच–पड़ताल कर मनै’ज दोशी ठहरायो । पैतींस साल की नोकरी में वा पांचवी अन लास्ट दुर्घटना ही जणी में मूं भी ठकाणे लाग ग्यो ।
यमराज भगवान फैंसला के लारे–लारे म्हारी सजा को होकम भी हुणा दियो । बोल्या ईं ट्राफिक पुलिस ने गदेड़ा की योनि में नाको । ईंकी नामीक लापरवाही उं 21 भला मनक एक लारे बेमौत मर्या । पैंतीस साल की नौकरी में पांच दुर्घटना में अणी असान कुल 60 जणा ने बेमोत मार्या ।
अणी गदेड़ा ने पाचो गदेड़ो बणाओ । अणीकी पुणाई वसान ई घणी कम ही फेर भी नारदजी की सिफारिश उं ईने मनुश्य योनि दे’न मैं घणी गल्ती कीदी ।
यमराजजी फरमायो आजकाल योई देकबा में आर्यो के जांकी–जांकी पुण्याई ज्यादा कम होता थकाई वाने मनक बणा काड्या वे अनीति पे चालर्या ,धापीन भ्रष्टाचार करर्या बण्या बणाया काम बगाड़र्या ,मोटी–मोटी रिश्वत लेर्या अन वांकी वजाउं गरीब बिचारा बनाई मोत मर्या ।
यो 21 संता की अकाल मृत्यु को कारण बण्यो अणी वास्ते ईने 21 जन्मां तक गदेड़ा को जमारो जीणो पड़ेगा ओर भोळा–भाळा दीन दुःखी सज्जन भला मनकां की निहाशुल्क सेवा करनी पड़ेगा। जदी जान अणीको ये मोटा–मोटा पाप मटेगा ।
हुणजो भोळाबा यो म्हारो पेलाई जनम हे । इक्कीस जनमंा ताई म्हारी याई गत वेणी हे । मूं ईं चोराया पे उबो रेउं । दस बजाउं लगार षाम की पांच बजा तक । ई फीफरी नीचे बेठो रूं कदी उबो रूं । चारूं मेर देखतो रेउं कोई थांका जसो दीन–दुःखी दिख जावे तो झट दौड़ वांकी मदद करूं ं
भोळाबा वीं गदा के वास्ते ग्यारा रूप्या को चारो अन इक्कीस रूप्या की पांच तरह की मिठायां लाया , वाने पांची पकवान प्रेम उं खवाया ।
पचे अनपढ़ भोळाबा वीं गदेड़ा ने अपणो जाण मनकी एक बात केबा लागो हे भूतपूर्व ट्र्ाफिक मेन साब आप मने सड़क पार कराई मूं जीवन भर थांका एहसान ने कदी भूल नी सकूंगा । मूंडा के हाथ फेर–फेर गदा के खूब लाड़ कर्या ।
जाती बगत उने एक बात के ग्या देक रे म्हारा धरम का बीरा भगवान यमराज थने जो सजा देदी वा’तो थने भुगतनी’ज पडे़ेगा पण फेर भी म्हारी एक राय हे थने ,वा या कि थां जो अटे फीफरी नीचे सुबह 10 बजाउं लगा न षाम की पांच बजा तकी‘ज ढ़बो या कई थांकी सरकारी नोकरी थोड़ी । थां तो असी कर्या करो के सुबह दन उगताई आजाया करो अन षाम को दन आंतबा तक अटै ढब्या करो । असान रोज–रोज ओवर टाइम करोगा नी तो थांकी या इक्कीस जनक की सजा कोई पंद्रा जनमां मै पूरी वे जई । पाचो थाने झट मनक जमारो मल जावेगा ।
मनक जमारा में थूं भूल अन पुलिस मेकमां में भर्ती को फार्म भरे मती । मजबूरी में पुलिस बणनोई पड़ जावे तो चोराया’चोराया पे वसान सिट्टया लगावा बच्चे तो आफिस बेठो–बेठो बीड़्या फूंकबो ठीक हे ।
रचनाकारः– अमृत’वाणी’
भोळाबा