बार–बार देखें सभी , इतना प्यारा रूप ।
कोई कहता चांदनी , कोई कहता धूप ।।
कोई कहता धूप , करे सब नो–नो बातें ।
एक उपाय विवाह , चांदनी सी सब रातें ।।
कह ‘वाणी’ कविराज, दिल की सुनो पुकार ।
अपना है जब चाँद ,देय दर्शन बार–बार ।।![[miniture art (12) copy[4].jpg]](https://lh4.ggpht.com/_6wYoLo-dJc0/SwEOnnd4KvI/AAAAAAAAAIw/7ML_P8D8USA/s1600/miniture+art+%2812%29+copy%5B4%5D.jpg)
कोई कहता चांदनी , कोई कहता धूप ।।
कोई कहता धूप , करे सब नो–नो बातें ।
एक उपाय विवाह , चांदनी सी सब रातें ।।
कह ‘वाणी’ कविराज, दिल की सुनो पुकार ।
अपना है जब चाँद ,देय दर्शन बार–बार ।।
![[miniture art (12) copy[4].jpg]](https://lh4.ggpht.com/_6wYoLo-dJc0/SwEOnnd4KvI/AAAAAAAAAIw/7ML_P8D8USA/s1600/miniture+art+%2812%29+copy%5B4%5D.jpg)
चाँद